हेलो दोस्तों आपका मेरी वेबसाईट getyourway.online मे स्वागत है आज के इस लेख मे हम भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री व लौह पुरूष के नाम से प्रसिद्ध सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवन परिचय || सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध in hindi को पढ़ेंगे-
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सरदार वल्लभ भाई पटेल |
सरदार वल्लभ भाई पटेल का जीवन परिचय || सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध in hindi :-
जन्म एवं जन्म स्थान:-
भारत के प्रथम उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म 31 October 1875 को नाडियाड मे एक गरीब परिवार मे हुआ था | इनके पिता का नाम झावेर भाई पटेल था वे एक किसान थे एवं उनकी माता का नाम लाड बाई था बचपन से ही बालक् पटेल बहुत ही मेहनती, दृढ़ निश्चयी व होनहार थे |
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शिक्षा:-
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा करमसाद में ही पूरी की उसके बाद सन 1897 ई० 22 साल की उम्र मे उन्होंने नाडियाड/पेटलाड के एक हाई स्कूल से अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की | उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी ना होने और अन्य कारणों से उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा देर से उत्तीर्ण की |
उसके बाद सन 1900 में उन्होंने गोधरा में वकालत का अभ्यास करना शुरू कर दिया | अपनी मेहनत और लगन से सरदार वल्लब भाई पटेल एक काबिल वकील बन गये |
सन 1902 ई० में, सरदार वल्लभ भाई पटेल कानून का अभ्यास करने के लिए बोरसाड (खेड़ा) चले गए, जहाँ उन्होंने चुनौतीपूर्ण अदालती मामलों को संभाला | उनका सपना इंग्लैंड मे जाकर कानून की पढ़ाई भी करना था उसके लिए उन्होंने महीनों काम करके पैसे भी जमा कर लिए थे पर जब पता चला की उनके बड़े भाई विट्ठलभाई पटेल भी विदेश जाकर पढ़ना चाहते है तो उन्होंने अपने बड़े भाई और परिवार के लिए अपने सपनों का बलिदान दे दिया और सारे पैसे और टिकट अपने बड़े भाई को दे दिया और उनके सपने को पूरा किया |
बाद मे वे साल 1910 में लॉ की डिग्री हासिल करने के लिए इंग्लैंड चले गए जहाँ साल 1913 में वल्लभभाई पटेल ने इंस ऑफ कोर्ट से अपनी लॉ की पढ़ाई पूरी की, और इस दौरान उन्होंने सर्वाधिक अंक पाकर अपने कॉलेज में टॉप भी किया।
परिवार :-
सरदार वल्लभ भाई पटेल के परिवार मे उनके अलावा उनके माता पिता, तीन भाई और एक बहन रहते थे उनके पिता का नाम झावेर भाई पटेल तथा माता का नाम लाड बाई था | उनके तीनों भाईयो का नाम क्रमश: सोम भाई, बिट्ठल भाई और नरसीभाई तथा उनकी एकमात्र इकलौती बहन का नाम दहिबा था | बाद मे सन 1893 मे उनकी शादी झावेरबा पटेल से हुई पटेल जी के एक पुत्र और एक पुत्री थी पुत्र का नाम, दह्याभाई व बेटी का नाम मणिबेन था|
सरदार पटेल का भारत की आज़ादी मे योगदान :-
सरदार पटेल का भारत की आजादी मे बहुत बड़ा योगदान था उन्होंने भारत माता को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेजों से कड़ा संघर्ष किया इसके चलते वे बहुत बार जेल भी गए सरदार पटेल ने देश की आजादी के लिए 1917 में खेड़ा किसान सत्याग्रह, 1923 में नागपुर झंडा सत्याग्रह व 1924 में बोरसद सत्याग्रह के उपरांत 1928 में बारदोली सत्याग्रह में अपना योगदान दिया और भारत माता को आजादी दिलायी |
राजनीतिक जीवन:-
सरदार पटेल ने भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वे एक भारतीय अधिवक्ता और राजनेता थे, जो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और भारतीय गणराज्य के संस्थापक थे जिन्होंने स्वतंत्रता के लिए देश के संघर्ष में अग्रणी भूमिका निभाई और एक एकीकृत, स्वतंत्र राष्ट्र में अपने एकीकरण का मार्गदर्शन किया | उन्होंने भारत के राजनीतिक एकीकरण और 1947 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारत के गृह मंत्री के रूप में भी कार्य किया |आजाद भारत के निर्माण मे उनका योगदान:-
भारत की स्वतंत्रा प्राप्ति के बाद जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री का पद और वल्लभ भाई पटेल को उप प्रधानमंत्री का पद मिला वे स्वतंत्र भारत के प्रथम उप प्रधानमंत्री बने | उस समय भारत कई छोटी बड़ी रियासतों मे बंटा हुआ था सरदार पटेल ने उन सभी रियासतों का एकीकरण करके एक गठित संयुक्त राज्य भारत का निर्माण किया जो उनकी दूरदर्शीता का प्रमाण था आज अगर भारत एकजुट है तो उसमे सरदार पटेल का बहुत बड़ा योगदान है वे अपने विचारों से बहुत ही दृढ़ निश्चयी व्यकित् थे तभी उन्हें लौह पुरुष की उपाधी दी गयी |
सरदार पटेल द्वारा लिखित पुस्तके:-
हालांकी सरदार पटेल जी को कभी पुस्तकें लिखने का समय नही मिला आजीवन देश सेवा मे लगे होने के कारण| फिर भी उनके द्वारा लिखे गए पत्रों, लेखों आदि को जोड़ कर रचना का रूप दिया गया है जो निम्नवत है-
(1) भारत विभाजन
(2) गांधी, नेहरू, सुभाष
(3) आर्थिक एवं विदेश नीति
(4) मुसलमान और शरणार्थी
(5) कश्मीर और हैदराबाद |
सरदार की उपाधि कब व कैसे मिली:-
सरकार द्वारा बढ़ाये कर को लेकर सन् 1928 मे बारडोली मे वल्लभभाई पटेल ने साइमन कमीशन के विरुद्ध एक सत्याग्रह का नेतृत्व किया उनके नेतृत्व मे किसान भाइयों की एकता को देख कर आखिरकार वायसराय को झुकना पड़ा | इस बारडोली सत्याग्रह के कारण पुरे देश में वल्लभभाई पटेल का नाम प्रसिद्द हुआ इस आन्दोलन की सफलता के कारण वल्लभ भाई पटेल को बारडोली के लोग सरदार कहने लगे जिसके बाद इन्हें सरदार पटेल के नाम से ख्याति मिली |
मृत्यु:-
सरदार वल्लभ भाई पटेल की मृत्यु 15 दिसंबर 1950 को 75 साल की अवस्था मे मुंबई मे हुई |
भारत रत्न से सम्मानित :-
सरदार पटेल को भारत रत्न सम्मान 1991 में मरणोपरांत दिया गया |
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