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आज के इस लेख मे हम अपने भूतपूर्व प्रधानमंत्री व एक शानदार वक्ता और लेखक अटल बिहारी बाजपेयी की 5 प्रेरणादायक कविताएं को पढ़ेगें | आज वो हमारे बीच नही है फ़िर भी उनकी कविताएं और विचार आज भी हमे प्रेरित व मार्गदर्शित करते है
आशा करता हूँ कि यह कविताएं आपको जरूर पसंद आयेंगी और ये आपको प्रेरित भी करेगी अतः आप इसे अवश्य पढ़े और अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे |
अटल बिहारी बाजपेयी |
अटल बिहारी बाजपेयी की 5 प्रेरणादायक कविताएं
(1) ठन गई!
मौत से ठन गई!
ठन गई!
मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई |
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं |
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?
तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा |
मौत से बेख़बर, ज़िन्दगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर |
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं |
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला |
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए |
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है |
पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी तन गई |
मौत से ठन गई |
(2) आज भी डर लगता है
आज भी डर लगता है
धुआं धुआं सा शहर लगता है
याद आती है फिर वही दास्तां
जैसे माहौल में घुला ज़हर लगता है |
वो चीखने चिल्लाने की आवाज़ें
वो रोने और घबराने की बातें
ज़िंदगी और मौत से लड़ती ज़िंदगी
प्रकृति का कैसा कहर लगता है।
आज भी डर लगता है ||
ख़ुशनुमा माहौल अब गमगीन है
व्यथित है आकाश और ज़मीन है
नज़ारों में अब पहले जैसी बात नहीं
अब नहीं अच्छा कोई प्रहर लगता है।
आज भी डर लगता है
आज भी डर लगता है ||
(3) जिनके याद का दीपक जलता है
कुछ ऐसे भी लम्हे जीवन के
जिनके याद का दीपक जलता है
घोर तिमिर की खायी में
जो प्रकाश बन राह दिखाता है |
मन बोझिल हो जब जाता है
नहीं पास नजर कुछ आता है
ऐसे निराशाओं की बेला में
जिनके याद का दीपक जलता है |
(4) कदम मिलाकर चलना होगा
कदम मिलाकर चलना होगा
बाधाएं आती हैं आएं
घिरें प्रलय की घोर घटाएं,
पावों के नीचे अंगारे,
सिर पर बरसें यदि ज्वालाएं,
निज हाथों में हंसते-हंसते,
आग लगाकर जलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा |
हास्य-रूदन में, तूफानों में,
अगर असंख्यक बलिदानों में,
उद्यानों में, वीरानों में,
अपमानों में, सम्मानों में,
उन्नत मस्तक, उभरा सीना,
पीड़ाओं में पलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा |
उजियारे में, अंधकार में,
कल कहार में, बीच धार में,
घोर घृणा में, पूत प्यार में,
क्षणिक जीत में, दीर्घ हार में,
जीवन के शत-शत आकर्षक,
अरमानों को ढलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा |
सम्मुख फैला अगर ध्येय पथ,
प्रगति चिरंतन कैसा इति अब,
सुस्मित हर्षित कैसा श्रम श्लथ,
असफल, सफल समान मनोरथ,
सब कुछ देकर कुछ न मांगते,
पावस बनकर ढलना होगा.
कदम मिलाकर चलना होगा |
कुछ कांटों से सज्जित जीवन,
प्रखर प्यार से वंचित यौवन,
नीरवता से मुखरित मधुबन,
परहित अर्पित अपना तन-मन,
जीवन को शत-शत आहुति में,
जलना होगा, गलना होगा.
क़दम मिलाकर चलना होगा |
(5) आओ फ़िर से दिया जलाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें
बुझी हुई बाती सुलगाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ
हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्त्तमान के मोहजाल में
आने वाला कल न भुलाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ
आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ |
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तो आज के इस लेख में हमने अटल बिहारी बाजपेयी की 5 प्रेरणादायक कविताएं को पढ़ा उम्मीद करता हूं आपको मेरा ये लेख जरूर पसन्द आया होगा आप अपनी प्रतिकिया हमे comment के माध्यम से दे तथा इसे share भी करे अगर आपका कोई सुझाव हैं तो वो भी यहाँ comment मे बताये मैं उसपे अमल करूंगा|🙏