हेलो दोस्तों, आप सभी का मेरी वेबसाइट Getyourway.online मे स्वागत है| आप सभी ने भगवत गीता के बारे मे जरूर सुना होगा यह हिन्दूओ की धार्मिक और बहुत ही पवित्र किताब है इसमे महाभारत काल मे श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गये उपदेश संकलित है | ये उपदेश इतने अधिक प्रेरणादायक है कि किसी भी पढ़ने या सुनने वाले की ज़िन्दगी से निराशा को निकाल कर उनकी ज़िन्दगी मे आशा और आत्मविश्वास भर देता है इसलिये हमे गीता मे दिए गए उपदेशो को एक बार जरूर पढ़ना चाहिये ये हमारे व्यकितत्व को निखारने, एक अच्छा इंसान बनने और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता है |
तो आज के इस लेख मे हम भगवत गीता के अनमोल वचन/bhagavad gita quotes in hindi को पढ़ेगें |
भगवत गीता |
bhagavad gita quotes in hindi:-
1.समय से पूर्व और भाग्य से ज्यादा कभी भी किसी को कुछ नही मिलता है।
2.जो व्यवहार आपको अपने प्रति दूसरों से पसंद ना हो, वैसा व्यवहार आप स्वयं भी दूसरों के साथ ना करें।
3. हे वत्स ! जब जब पृथ्वी पर पाप, अहंकार और अधर्म आदि बढ़ेगा, तब तब इन सबका विनाश करने और धर्म की पुनः स्थापना करने , मैं अवश्य ही अवतार लेता रहूंगा।
4. हे अर्जुन ! मैं भूत, वर्तमान और भविष्यकाल के सभी प्राणियों को जानता हूं, लेकिन वास्तव में उनमे से मुझे कोई भी नही जानता है।
5. अकेला केवल मनुष्य का मन ही या तो किसी का मित्र होता है या शत्रु होता है
6. वह व्यक्ति जो अपनी मृत्यु आने पर मुझे याद करके अपने शरीर का त्याग करता है, वह व्यक्ति मरने के बाद मेरे धाम मे आता है और इसमें तनिक मात्र भी संशय नही है।
7. लगातार अच्छे कर्म करते रहने के बावजूद भी लोग सिर्फ और सिर्फ आपकी बुराइयाँ ही याद रखेंगे, इसलिए लोग क्या कहते है कभी भी इन बातों पर पर ध्यान मत दो, और पूरी तन्मयता से अपना काम करते रहो।
8. मनुष्य को परिणाम आदि की तनिक भी चिंता किए बिना लोभ- लालच और निस्वार्थ से मुक्त और निष्पक्ष होकर अपने सभी कर्तव्यों का निष्ठापूर्वक पालन करना चाहिए।
9.मानव का कल्याण ही भगवत गीता का एकमात्र प्रमुख उद्देश्य है, इसलिए सभी मनुष्यों को अपने कर्तव्यों का पालन करते समय सर्वप्रथम मानव कल्याण को ही प्राथमिकता देनी चाहिए।
10.मनुष्य को अपने जीवन की किसी भी कठिनाइयों और चुनौतियों से बिल्कुल भी भागना नहीं चाहिए ना ही भाग्य और ईश्वर की इच्छा जैसे अनुचित बहानों का प्रयोग करना चाहिए।
भगवत गीता के अनमोल वचन:-
11. जो व्यक्ति सदैव सबपे संदेह करता rahata5 है उसके लिए प्रसन्नता न तो इस लोक में है और ना ही परलोक में।
12.जो मनुष्य अपने मन को नियंत्रित नही कर सकते है, उनके लिए उनका स्वयं का मन ही उनका सबसे बड़ा शत्रु होता है।
13. नरक के तीन मुख्य द्वार होते है, वासना, क्रोध और लालच।
14. हे अर्जुन ! हम दोनों ने ही बहुत सारे जन्म लिए है, मुझे सारे जन्म याद है पर तुम्हें नही।
15. हे अर्जुन ! अगर कोई व्यक्ति किसी भी देवता की पूजा पूरे श्रधा और विश्वास के साथ करने की इच्छा रखता है, मैं उस व्यक्ति का विश्वास भी उसी देवता में और ज्यादा ही दृढ़ कर देता हूं।
16. हे अर्जुन ! हमारा मन बहुत ही अशांत होता है और इसको नियंत्रित करना बहुत ही कठिन है, परंतु लगातार अभ्यास करके इसे वश में किया जा सकता है।
17. वह मनुष्य जो अपनी सभी इच्छाओं का त्याग कर देता है और ‘मैं’ एवं ‘मेरा’ आदि की लालसा और भावना से पूरी तरह से मुक्त हो जाता है, उसे अपार शांति की अनुभूति एवं प्राप्ति होती है।
18. पृथ्वी पर जिस तरह से हर पल मौसम में बदलाव आता रहता है, उसी तरह से मनुष्य के समस्त जीवन में भी सुख और दुख भी आते जाते रहते है |
19. इतिहास कहता है कि कल (पूर्व मे) सुख था, विज्ञान कहता है कि कल (भविष्य मे) सुख होगा, लेकिन धर्म कहता है, अगर मन साफ और सच्चा तथा दिल अच्छा हो तो आज कल हर रोज ही सुख होगा।
20. हे अर्जुन! जो कुछ भी घटने वाला है वो घट कर ही रहेगा, और जो कुछ भी नहीं होने वाला होता है वह कभी भी नहीं होता, इस तरह का निश्चय जिनमे भी होता है, उन्हें कभी भी कोई भी चिंता नही सताती है।
21.जो हुआ वह अच्छा ही हुआ और जो हो रहा है वो भी अच्छा ही हो रहा है और जो होगा वो भी अच्छा ही होगा।
22. हे अर्जुन ! तुम्हारा क्या चला गया जिसके लिए तुम रोते हो, तुम ऐसा क्या लाए थे जिसे तुमने खो दिया है, तुमने ऐसा क्या पैदा किया था जो की नष्ट हो गया, तुमने जो भी लिया यहीं से लिया, जो भी दिया यहीं से दिया, आज जो कुछ भी तुम्हारा है, वही कल किसी और का होगा, क्योंकि परिवर्तन ही इस संसार का नियम है।
23. जीवन ना तो भविष्य में है और ना ही अतीत में है, जीवन जो भी है बस इसी पल में है।
24. इस दुनिया मे जन्म लेने वाले मनुष्य के लिए मृत्यु बिल्कुल उतनी ही निश्चित है, जितना कि मरने वाले व्यक्ति का जन्म लेना। इसलिए इस दुनिया मे जो भी अपरिहार्य है, उस पर हमे कभी भी शोक नही करना चाहिए।
25. कोई भी व्यक्ति वह जो चाहे वह बन सकता है, यदि वह व्यक्ति एक दृढ़ विश्वास के साथ उस वस्तु पर लगातार चिंतन करें।
bhagavad gita |
भगवत गीता के 40 अनमोल वचन
26. हे अर्जुन ! मैं यहाँ समस्त प्राणियों को एकसमान रूप से ही देखता हूं, मेरे लिए ना तो कोई कम प्रिय है और ना ही कोई ज्यादा प्रिय, लेकिन जो भी मनुष्य मेरी पूरी मन से प्रेमपूर्वक आराधना करते है, वो मेरे भीतर निवास करते है और मै स्वयं भी उनके जीवन में आता हूं।
27. मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित एक प्राणी है, जैसा वह विश्वास करता है, वह बिल्कुल वैसा ही बन जाता है।
28. फल प्राप्ति की इच्छा ना रखकर कर्म करते रहने वाला मनुष्य ही अपने जीवन पुर्ण रूप से सफल बनाता है।
29. हे अर्जुन ! क्रोध से केवल भ्रम ही पैदा होता है और भ्रम से हमारी बुद्धि व्याकुल होती है और जब हमारी बुद्धि व्याकुल होती है, तब जाकर हमारी तर्क क्षमता पूरी तरह से खत्म हो जाती है और जब व्यक्ति के तर्क शक्ति का पतन होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।
30. तेरा मेरा, छोटा बड़ा, अपना पराया, ये सब बातें ही अपने मन से पूरी तरह मिटा दो, फिर सब तुम्हारा लगेगा और तुम सबके।
31.परिवर्तन ही समस्त संसार का नियम है, कभी कभी ऐसा होता है कि एक ही क्षण में हम अथाह सम्पति के मालिक हो जाते है तो दूसरे ही क्षण हमें ये लगने लगता है की मै तो कंगाल हूं मेरे पास तो कुछ भी नही है।
32. स्वयं को ईश्वर के समक्ष पूरी तरह से समर्पित कर दो, ईश्वर का सहारा ही हमारा एकमात्र सबसे बड़ा सहारा है, जो भी मनुष्य इस सहारे को जान गया है वह सभी प्रकार के भय, चिंता और और दुखो से आजाद हो जाता है।
33. यह शरीर ना तो तुम्हारा है और ना ही तुम स्वयं भी इस शरीर के मालिक हो, यह शरीर तो प्रकृति के 5 तत्वों से मिलकर बना है – आग, वायु, जल, पृथ्वी और आकाश, एक दिन आपका मानव शरीर भी इन्ही 5 तत्वों में विलीन हो जाएगा।
34. कोई भी मनुष्य जन्म से महान नही होता बल्कि वह अपने कर्मो इत्यादि से महान बनता है।
35.जब मनुष्य अपने कार्य में आनंद की अनुभूति कर लेते हैं तब जाकर वो मनुष्य पूर्णता को प्राप्त हो जाता है।
36. तुम व्यर्थ में क्यूँ चिंता करते हो ? तुम भयभीत क्यों रहते हो ? कौन तुम्हे यहाँ मार सकता है ? आत्मा न तो कभी जन्म लेती है और न ही कोई कभी आत्मा को मार सकता है, आत्मा अजर और अमर है यही जीवन का अंतिम सत्य है।
37.हे अर्जुन, मैं संपूर्ण पृथ्वी का मधुर सुगंध हूँ, मैं इस अग्नि की ऊष्मा हूँ, धरती के सभी जीवित प्राणियों का मै जीवन और इन सभी सन्यासियों का मै आत्मसंयम हूँ।
38. हमारे मन की सभी गतिविधियों, होश, भावनाओं और श्वास के माध्यम से भगवान की सभी शक्तियां सदैव ही तुम्हारे साथ है।
39.हे अर्जुन! शिक्षित पंडित मनुष्य के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर का ढेर, और सोना सभी एक समान ही है।
40.हे अर्जुन, चतुर व्यक्ति को इस समाज के कल्याण के लिए बिना किसी आसक्ति के अपना कार्य करना चाहिए।
तो दोस्तों आज के इस लेख में हमने bhagavad gita quotes in hindi/भगवत गीता के अनमोल वचन को पढ़ा उम्मीद करता हूं आपको मेरा ये लेख जरूर पसन्द आया होगा आप अपनी प्रतिकिया हमे comment के माध्यम से दे और अगर आपका कोई सुझाव हैं तो वो भी यहाँ comment मे बताये मैं उसपे अमल करूंगा|🙏